Sunday, April 5, 2009

खुल कर कहो....

दोस्तों नमस्कार,
ब्लॉग खोले हुए कुछ ही समय हुआ हैं, काफी प्रतिक्रियाए आ रही हैं, अच्छा भी लग रहा हैं, काफी लोगो ने मुझे सराहा हैं,और कुछ ने जवाब भी दिया हैं ,विरोध मैं भी प्रतिक्रिया हैं,और मै यह मानता हु की स्वाभाविक होते हुए मेरे लिए यह आवश्यक भी हैं,परन्तु ऐसे जो भी संदेश मेरे को आ रहे हैं या तो Anonymous यूज़र के द्वारा या फ़िर ऐसे व्यक्ति द्वारा भेजे जाते हैं जिनका ब्लॉग पेज तो हैं लेकिन उनसे संपर्क करने का कोई भी साधन जिसमे उनका ईं मेल एड्रेस भी नही होता हैं.ऐसे महानुभाव से मेरा निवेदन हैं के या तो अपने विचारो से किसी को प्रभावित न करे एवं या अपने मन के बात किसी पर थोपने के कोशीस न करे ,अगर करे तो पुरे खुले मन से करे, आप अपनी बात कह कर बैठ जाते हो,या छुप जाते हो यह उचित नही हैं, सामने वालो को इस बारे मैं स्पटिकरण देने अपनी बात कहने का, आप को समझाने का का मोका दीजिये , मैंने अपने ब्लॉग मैं पूर्व मैं यह लिख चुका हु के यह मेरे निजी विचार हैं, हर व्यक्ति इससे सहमत नही हो सकता, मैंने किसी को सौगध नहीं दिलाइं है की वो मेरी बात मान ही ले...अच्छी बात हैं हे की आप शायद मुझे मेरी गलती का अहसास कराते हैं की शायद मैंने ग़लत लिखा हे तो, आओ ना दोस्त पुरी बात तो करो...अपनी पहचान मत छुपाओ। खुल कर सामने आ कर कहो और दिल और दिमाग से कहो.आगे भी मेरा उन सभी ब्लोगेर से निवेदन हैं की कभी भी किसी को कोई भी अपनी प्रतिक्रिया भेजे तो तो अपने विचार की साथ अपनी पहचान भी भेजे, क्या मालूम कल कोई अच्छा रिश्ता बन जाए...
...और एक दुसरे की काम आ सके...क्यों जी सही कहा ना,
आपकी जयहो
आपका
संजय

2 comments:

  1. बहुत बढिया... अपनी पहचान छुपाने का मतलब है कि आप लोगों का सामना करने से डरते हैं.खुल कर लिखिये, खुलकर बोलिये और खुलकर ज़माने का सामना कीजिये.छुपना तो चोरी है.

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  2. आपका कहना लाज़मी है। पहचान छुपानेवाला जबतक ख़ुलकर सामने नहि6 आये तो उसकि बात का वज़ुद ही क्या?आपकी बात से सहमत हुं।

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